आंगनवाड़ी में पोषण मटके की ‘टम्मक टू’
आंगनवाड़ी में पोषण मटके की ‘टम्मक टू’ आपको बचपन में पढ़ी वह कविता टम्मक टू, बुढ़िया और वह मटका याद है। वही मटका जिसमें बैठकर बुढ़िया राह के चीते—शेरों से बचते बचाते अपनी ससुराल पहुंच गई थी। मटका उस बुढ़िया के बहुत काम आया। मध्यप्रदेश में इन दिनों गांव—गांव में मटके की ही चर्चा हो …